स्वामी जी श्री रामचरण जी महाराज की अनुभव वाणी – गुरुदेव को अंग
आप हो गुरुदेव दिनपति अगम ज्ञान प्रकाश है।
उर नयन के तुम देव वायक अज्ञता तिम नाश है ॥
यथा निज पद पाइयो हम आप किरपा पूर हैं ।
नमो जी रिछपाल सतगुरु काल कंटक दूर हैं ॥
संग सतगुरु देव जी को महा भागी पाय हैं ।
भर्म कर्म अरु शर्म संशय शोक सारो जाय है ॥
गुरु नित गुणकार परगट दीन के दयाल हैं
रामचरण चित चरण लीन्हो कियो है मोहि निहाल है॥