राम रक्षा मन्त्र
जो नर राम नाम लिव लावे,
जाकू कोई भय नहीं व्यापे विघ्न विले होई जावे॥
अगल बगल का छांड पसारा, मन विश्वास उपावे ।
सर्वज्ञ साईं एक ही जाने, जो निर्भय गुण गावे ।
राहु केतु अरु प्रेत शनिश्चर, मंगल नाही दुखावे ।
सूरज सोम गुरु अरु बुध ही, शुक्र निकट नहीं आवे ।
भैरू बीर बिजासण डाकण, नरसींग दूर रहावे ।
दिशा शूल अरु भद्रा जाणु, सूंण कसूण बिलावे ।
मुष्ट दृष्टि अरु मोत अकाली, यम भी शीश नमावे ।
सबले शरणे निर्भयवासा, भगवानदास जन गावे ।
यह मंत्र स्वामी जी श्री भगवानदासजी ने रचा है।
वे स्वामीजी श्री रामचरणजी महाराज के प्रमुख शिष्यों में शामिल हैं।