नमो गुरुदेवं कृपा पूर किन्ही,
नमो आप स्वामी अभै गति दिन्ही।
नमो वीतरागा सुधानाम पागी,
नमो योगध्यानी समाधिसूं लागी।
नमो ब्रह्मरुपं अरुपं अलेखं,
नमो आप पारम् उतारे अनेकम्।
कहे *रामचरणं* नमोजी दयालम्,
कृपापुर मोपे करी हे कृपालम्॥1॥
कृपापुर मोपे कृपालम् करी हे,
महाझीन होती दुराशा हरी है।
कियो दिल्लपाकं विपाकं निवारे,
दियो रामनामं सबे काम सारे।
दिये ज्ञान भक्ती सूं निर्वेद साजं,
तिहूं लोक भोगं बताये निकाजंम।
दिये तोख पोखं विलोकम् दयालम्,
कहे *रामचरणं* नमामि कृपालम्॥2॥
पड़े दानपत्ती सबे रीति पोखे,
सदा सम् दृष्टि कहीं ना विदोखे।
कहा रंक रावं गिणे एक भावं,
देवे चिज रिझं उदारं स्वभावम्।
मानू मेघधारा नही भूमि देखे,
करे ज्ञान छोलं सदा यू विशोखे।
दयावान दाता बड़े ही दयालम्,
कहे *रामचरणं* नमामि कृपालम्॥3॥
महाकान्ति भारी तपे ज्यूं दिनेशं,
सदा ज्ञान रुपी विदेही नरेशं।
मानू शान्ति धीरं वशिष्ठं बखानम,
नही मोह माया न कायाभिमानम।
लिया योग वैराग्य भक्ति परा है,
सदा मिष्ठ वाचा उचारे गिरा है।
कोऊ शरण आवे करे प्रतिपालम् ,
कहे *रामचरणं* नमामि कृपालम्॥4॥
महातेज पुजं शरीरं बखानम,
सिवानूर सानन्द शोभायमानम।
गुणातीत स्वामी अकामी अलेखम,
जिना मध्य आपे गुरुजी विशेषम।
देवे आप धीरं हरे क्रोध ज्वालम्,
द्रवे सोम द्रष्टि करन्ते निहालम।
मुखा मुधुर हांसी विलासिक ब्रह्मं,
दीपे सन्त गादी आनादी सूधर्मम।
सदापक्ष सांची अजाची अकालम,
कहे *रामचरणं* नमामि कृपालम्॥5॥
मैं हूं तोर चरणा परयो नित्य स्वामी,
तुम्हें सानुकूलम भये अन्तरयामी।
दयी मोहे धीरं अभीरम किये हैं,
दोऊ हस्त शीशं दया से दिये हैं।
रखे आप शरणा सूं करुणा सुनी है,
उदै भाग्य मेरो भली ये बणी है।
किये मुक्त रुपा हनी जक्त जालं,
कहे *रामचरणं* नमामि कृपालम॥6॥
नमो राम रुपं गुरुजी अगाधे,
तुम्हें सेंव सानन्द सूं सर्व साधे।
ब्रह्मा ईश विष्णादि अवतार धारे,
सदा एक महिमा गुरु की उचारे।
कहे वेद वेदान्त सिध्दान्त जेता,
तिंहू लोक मध्ये धरे तन्न तेता।
निजानन्द ध्यानम गुरु को बखाने,
कहे *रामचरणं* यहे मन्न माने॥7॥
लिपे नाहि काहू फणी ज्यूं मणी है,
इसी रिती तोला अनन्ता गिणी है।
सबे घट्ट पूरं माने व्योम रुपा,
निराकार स्वामी अनामि अनूपा।
एसे गुरु आपं अमापं अतोलम,
नही वार पारं अगाधं अडोलम।
गुरु राम धामं महा सुख्खदानी,
कहे *रामचरणं* स्तूती बखानी॥8॥
रामजी राम राम महाराज